गुरुवार, 1 जून 2023
कैसे मान लूं... आप नहीं रहे तुषार भाई....
शनिवार, 18 फ़रवरी 2023
श्री महाकाल से एकाकार....
पांच दिसंबर,
2022 को श्री ओंकारेश्वर व
श्री ममकेश्वर के दर्शन के बाद मां क्षिप्रा की आरती में हम लोग शामिल हुए। वापसी
में आदिशक्ति हरसिद्धि माता की आरती में भी शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
जीवन में बहुत कम ही मौके आते हैं, जब सुबह, दिन व शाम शानदार हो। यह वही मौका था, लेकिन छह दिसंबर का ब्रह्म मुहूर्त तो अनंत
कालराशि के लिए अविस्मरणीय होने वाला था। माताजी, देवांश, श्रीमतीजी व मैं
महाकाल की आरती के लिए अंतःकरण से रोमांचित थे। जल्दी सोने का उपक्रम शुरू तो हुआ,
लेकिन किसी को नींद नहीं आई। झपकी जरूर आई
होगी। रात दो बजे से पहले ही हम सभी उठ गए और नहाकर तैयार हो गए। तीन बजे से पहले
हम गेट नंबर तीन पर पहुंच गए, लेकिन वहां पता
चला कि हमें गेट नंबर दो से प्रवेश करना है।
गेट नंबर दो बड़ा गणेश मंदिर के पास है, जबकि गेट नंबर तीन भारत माता मंदिर के पास। भगवान भोलेनाथ की कृपा से हम सभी गेट नंबर तीन के पास पहुंच गए। माताजी आस्टोपोरोसिस की मरीज हैं, चलने फिरने में थोड़ी दिक्कत होती है, लेकिन श्री महाकाल ने उन्हें अलौकिक ऊर्जा प्रदान कर दी। प्रातः तीन बजे से करीब साढ़े चार बजे तक इंतजार के बाद श्री महाकाल दरबार में प्रवेश का सौभाग्य मिला। लाइन में जो लोग हमसे पीछे थे वे आगे निकल गए और पहली या दूसरी पंक्ति में बैठ गए। हमें पिछली पंक्ति में जगह मिली। श्री महाकाल स्नान, शृंगार व आरती का सजीव प्रसारण सामने लगी स्क्रीन पर भी हो रहा था। कभी हम सीधे महाकाल को देखने का प्रयास करते, तो कभी स्क्रीन पर देखते।
भस्म आरती के लिए आए सभी भक्तों में अद्भुत श्रद्धा व ऊर्जा थी। भगवान का स्नान हुआ। दूध से, जल से, घृत से.... स्नान की विधियां पूरी हुईं तो शृंगार का कार्यक्रम शुरू हुआ। पुजारियों का दल शृंगार में परांगत था। श्री महाकाल स्तुति के बीच शृंगार का कार्यक्रम करीब आधे घंटे या उससे कुछ ज्यादा समय तक चला और जब पूरा हुआ तो श्री महाकाल का मुस्कुराता हुआ मुख मन-मस्तिष्क में इतनी ऊर्जा और अलौकिक सुख भर गया, जिसका वर्णन शब्दातीत है।
पुजारीजन भक्तों से शांत बैठने और वीडियो न बनाने की अपील करते हैं, लेकिन भक्त... श्री महाकाल को खुद में बसा लेना चाहते हैं... उनमें समा जाना चाहते हैं... कोई मंत्र पढ़ रहा है... कोई जयकारे लगा रहा है.... कोई आंख बंद करके श्री महाकाल से निकलने वाली आशीर्वाद रूपी तरंगों को अपनी आध्यात्मिक तरंगों से जोड़ लेना चाहता है। पुजारी जी की आवाज थोड़ी ऊंची हुई, तो लोग शांत हो गए। पुजारी जी ने घोषणा की, अब भस्म आरती होगी... महिलाएं न देखें... पर्दा कर लें...। भक्त जो कुछ भी श्री महाकाल को अर्पित करना चाहते हैं, उसे झोले में डाल दें...। श्रीमती जी ने पूछा- महिलाएं भस्म आरती क्यों नहीं देख सकतीं.... मैंने अपने अल्प अध्यात्म ज्ञान से कहा कि श्मशान विधि का नियम यहां भी लागू होता होगा। शास्त्रो में श्मशान में महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध माना गया है, लेकिन मैं इसे तर्क के साथ प्रमाणित नहीं कर सकता।
श्मशान के पुजारी
जिन्हें अघोर भी कहा जाता है, भस्म की पोटली के
साथ गर्भगृह में दाखिल हुए। उसी पोटली से भस्म आरती शुरू हुई। घंटा-घड़ियाल और
डमरू की मिश्रित ध्वनि के बीच भस्म आरती... यह संदेश कि सबकुछ शिव का है और सब शिव
के हैं। वह दानी हैं, सर्जक हैं,
पालक हैं, संहारक हैं और सृष्टि के समस्त कार्यविधि के नियंता भी...
जीवन के शोक और आनंद का अंत मसान है, जहां के भस्म को वह अष्टांग में धारण कर भस्मीभूत होने का संदेश देते हैं...
यही जीवन सत्य है... सृष्टि और विनाश का सत्य है... कुछ भी स्थायी नहीं... न सुख.. न दुख...
भस्म आरती के समापन के बाद महिलाओं को पर्दा हटाने की इजाजत दे दी गई। इसके बाद अन्य आरतियों का सिलिसला शुरू हुआ। एक समय ऐसा आया कि सारी बत्तियां बंद हो गईं और गर्भगृह में आरती की लौ के बीच श्री महाकाल के दर्शन हुए... इस दृश्य ने देवी सती के कायात्याग और शिव तांडव के प्रारंभ की परिस्थियों का आभास कराया। भक्तों के चढ़ावे श्री महाकाल तक पहुंच चुके थे। उनके भोग लगे। अज्ञानतावश हम कुछ नहीं ले जा पाए थे... शायद उनकी यही इच्छा रही होगी... आरती समाप्त हो गई, लेकिन मन वहां से रत्ती भर खिसने के लिए तैयार नहीं था... उसी समय श्री महाकाल के जलाभिषेक की व्यवस्था हो गई। हम सभी ने श्री महाकाल को जल अर्पित किए। उनके स्पर्श से धन्य हो गए...
मस्तिष्क पर अमिट है। स्मृतियां जीवन को रोमांचित करती रहती हैं... ऊर्जा प्रदान करती हैं... शायद यही ऊर्जा जीवन को गति देती है...
जय श्री
महाकाल... आपकी जय हो... प्राणियों में सद्भावना हो... विश्व का कल्याण हो...
रविवार, 1 जनवरी 2023
क्षिप्रा माता की संध्या आरती व शक्तिपीठ हरसिद्धि माता

नगाड़ा एक बच्चा बजा रहा था और घंटी एक वयस्क। जब वादन का पहला दौर खत्म हुआ तो घंटी बजाने वाले ने बच्चे पर रौब जमाने का प्रयास किया और कहा कि तुम सही से नगाड़ा नहीं बजा रहे हो। दोनों में काफी देर तक बहस हुई, लेकिन बच्चा अपनी जिद पर अड़ गया। नतीजतन, घंटी बजाने वाले ने नाराज होकर मैदान छोड़ दिया। घंटी बजाने की जिम्मेदारी किसी और ने संभाली। थोड़ी देर बाद वादन का दूसरा दौर शुरू हुआ और इसी बीच आरती भी शुरू हो गई।