-कुणाल देव-
केशुब महिंद्रा व आनंद महिंद्रा की कंपनी ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ को भला कौन नहीं जानता होगा। यह जानना और भी दिलचस्प है कि कंपनी का यह मूल नाम नहीं है। आजादी से पहले शुरू हुई इस कंपनी का मूल नाम ‘महिंद्रा एंड मुहम्मद’ हुआ करता था। जी हां, इस कंपनी की शुरुआत यारी-दोस्ती और संबंधों की एक लंबी और प्रेरक दास्तां है। मुहम्मद का पूरा नाम गुलाम मलिक मुहम्मद था। महिंद्र व मुहम्मद घरानों में दांत काटे की दोस्ती थी। इसी दोस्ती ने वर्ष 1945 में पंजाब के लुधियाना में ‘महिंद्रा व मुहम्मद’ नाम से एक कंपनी को जन्म दिया। तब यह कंपनी स्टील का कारोबार करती थी। काम तेजी से चल निकला। इस बीच देश आजाद हुआ, लेकिन दो टुकड़ों में। देश के इस विभाजन ने ‘महिंद्रा एंड मुहम्मद’ से मुहम्मद को छीन लिया। दरअसल, गुलाम मुहम्मद पाकिस्तन चले गए और वहां के पहले वित्त मंत्री बने। इधर, मुहम्मद के जाने के बाद खाली जगह को महिंद्रा से भर दिया गया। इस प्रकार ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ के रूप में नई कंपनी का जन्म हुआ।
सबसे महत्वपूर्ण, बड़ा और जरूरी निवेश
आपके संबंध सबसे महत्वपूर्ण, बड़ा और जरूरी निवेश भी होते हैं। फिल्म दीवार ने यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन को करियर की ऊंचाई पर ला खड़ा किया। वक्त बीतता गया और दोनों ने एक साथ कई फिल्में कीं। एक वक्त ऐसा भी आया, जब अमिताभ के पास इतना काम आ गया था कि 24 घंटे भी कम पड़ने लगे थे। लेकिन, जब एबीसीएल के साथ उनकी सारी पूंजी खत्म हो गई और यहां तक कि उन्हें अपने दोनों बंगले-जलसा व प्रतीक्षा गिरवी रखने पड़े तो एक वक्त ऐसा भी आया कि अमिताभ के पास कोई काम नहीं था। करोड़ों के कर्ज में दबे अमिताभ ने नई शुरुआत करने की ठानी और पूरे भरोसे के साथ एक सुबह काम मांगने यश चोपड़ा के पास पहुंच गए। यहीं अमिताभ को फिल्म मोहब्बतें मिली और एक बार फिर उनके करियर की गाड़ी चल निकली।
कभी खत्म न होने वाली पूंजी
वास्तव में आपके संबंध कभी न खत्म होने वाली पूजी होते हैं। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का निधन हुआ। यह अनायास नहीं था कि विरोधी दलों से लेकर तमाम वर्गों के दिग्गज उनके साथ बिताए व्यक्तिगत पलों को याद कर रहे थे। कॉलेज के दिनों में वह किसी के लिए बड़े भाई बने तो राजनीति में उन्होंने दलगत भावना से ऊपर उठकर काम किया। सामाजिक जीवन में भी वह कभी पीछे नहीं हटे। अपनी पार्टी के लिए तो वह बड़े स्तंभ थे ही। कुल मिलाकर एक लाइन में कहें तो उनके संबंधों की परिधि बहुत बड़ी थी। संबंधों को निभाते हुए उन्होंने कई को आगे बढ़ने में मदद की तो कई ने उनके संबंधों को इज्जत देते हुए उन्हें आगे बढ़ाया।
मनोबल की मजबूती का आधार
आपके संबंध सीधे तौर पर अगर कुछ न भी दें तब भी रोजाना बहुत कुछ दे जाते हैं। आप संबंधों के जितने धनी होंगे आपका मनोबल और आत्मविश्वास उतना ही मजबूत होगा। आपके अंदर यह भरोसा होगा कि अगर कुछ बिगड़ता भी है तो आपके रिश्ते-नाते, दोस्त-यार मिलकर उसे संभाल लेंगे। यह भरोसा आपको दूसरे लोगों से अलग करते हुए काम में कुशलता लाने का रास्ता खोलता है। प्रोफेशनल जीवन में अक्सर लोग एक पड़ाव पर आकर चुनौतियों का सामना करने से बचते हैं। कारण है कि उनके ऊपर जिम्मेदारियां आ जाती हैं और वह हासिल चीजों को खोने से डरने लगते हैं। लेकिन, जब आपको भरोसा होता है कि आपके पीछे आपकी बिगड़ी बनाने वाले कई लोग हैं तो आप चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरते।
दिखाते हैं नये रास्ते
संस्कृत में एक कहावत है-सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यं अप्रिय। प्रियं च नानृतं ब्रूयात, एष धर्मः सनातनः।। यानी, सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, सत्य लेकिन अप्रिय नहीं बोलना चाहिए। प्रिय लेकिन असत्य नहीं बोलना चाहिए, यही सनातन धर्म है। प्रोफेशनल लाइफ में यह बहुत ही जरूरी हो जाता है। प्राइवेट ही नहीं, सरकारी नौकरी में भी आपकी वाणी संबंध बनाती है और संबंध तरक्की के द्वार खोलते हैं। प्राइवेट सेक्टर में तो कोई भी कंपनी उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देती है जो पहले आजमाए जा चुके हों। ऐसे में आपके व्यक्तिगत संबंध ही इस बात की गारंटी देते हैं कि बंदा काम का है।
नोटः इस आर्टिकल को आप फेसबुक पर भी पढ़ सकते हैं।
केशुब महिंद्रा व आनंद महिंद्रा की कंपनी ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ को भला कौन नहीं जानता होगा। यह जानना और भी दिलचस्प है कि कंपनी का यह मूल नाम नहीं है। आजादी से पहले शुरू हुई इस कंपनी का मूल नाम ‘महिंद्रा एंड मुहम्मद’ हुआ करता था। जी हां, इस कंपनी की शुरुआत यारी-दोस्ती और संबंधों की एक लंबी और प्रेरक दास्तां है। मुहम्मद का पूरा नाम गुलाम मलिक मुहम्मद था। महिंद्र व मुहम्मद घरानों में दांत काटे की दोस्ती थी। इसी दोस्ती ने वर्ष 1945 में पंजाब के लुधियाना में ‘महिंद्रा व मुहम्मद’ नाम से एक कंपनी को जन्म दिया। तब यह कंपनी स्टील का कारोबार करती थी। काम तेजी से चल निकला। इस बीच देश आजाद हुआ, लेकिन दो टुकड़ों में। देश के इस विभाजन ने ‘महिंद्रा एंड मुहम्मद’ से मुहम्मद को छीन लिया। दरअसल, गुलाम मुहम्मद पाकिस्तन चले गए और वहां के पहले वित्त मंत्री बने। इधर, मुहम्मद के जाने के बाद खाली जगह को महिंद्रा से भर दिया गया। इस प्रकार ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’ के रूप में नई कंपनी का जन्म हुआ।
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09 सितंबर 2019 को दैनिक जागरण में प्रकाशित |
सबसे महत्वपूर्ण, बड़ा और जरूरी निवेश
आपके संबंध सबसे महत्वपूर्ण, बड़ा और जरूरी निवेश भी होते हैं। फिल्म दीवार ने यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन को करियर की ऊंचाई पर ला खड़ा किया। वक्त बीतता गया और दोनों ने एक साथ कई फिल्में कीं। एक वक्त ऐसा भी आया, जब अमिताभ के पास इतना काम आ गया था कि 24 घंटे भी कम पड़ने लगे थे। लेकिन, जब एबीसीएल के साथ उनकी सारी पूंजी खत्म हो गई और यहां तक कि उन्हें अपने दोनों बंगले-जलसा व प्रतीक्षा गिरवी रखने पड़े तो एक वक्त ऐसा भी आया कि अमिताभ के पास कोई काम नहीं था। करोड़ों के कर्ज में दबे अमिताभ ने नई शुरुआत करने की ठानी और पूरे भरोसे के साथ एक सुबह काम मांगने यश चोपड़ा के पास पहुंच गए। यहीं अमिताभ को फिल्म मोहब्बतें मिली और एक बार फिर उनके करियर की गाड़ी चल निकली।
कभी खत्म न होने वाली पूंजी
वास्तव में आपके संबंध कभी न खत्म होने वाली पूजी होते हैं। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का निधन हुआ। यह अनायास नहीं था कि विरोधी दलों से लेकर तमाम वर्गों के दिग्गज उनके साथ बिताए व्यक्तिगत पलों को याद कर रहे थे। कॉलेज के दिनों में वह किसी के लिए बड़े भाई बने तो राजनीति में उन्होंने दलगत भावना से ऊपर उठकर काम किया। सामाजिक जीवन में भी वह कभी पीछे नहीं हटे। अपनी पार्टी के लिए तो वह बड़े स्तंभ थे ही। कुल मिलाकर एक लाइन में कहें तो उनके संबंधों की परिधि बहुत बड़ी थी। संबंधों को निभाते हुए उन्होंने कई को आगे बढ़ने में मदद की तो कई ने उनके संबंधों को इज्जत देते हुए उन्हें आगे बढ़ाया।
मनोबल की मजबूती का आधार
आपके संबंध सीधे तौर पर अगर कुछ न भी दें तब भी रोजाना बहुत कुछ दे जाते हैं। आप संबंधों के जितने धनी होंगे आपका मनोबल और आत्मविश्वास उतना ही मजबूत होगा। आपके अंदर यह भरोसा होगा कि अगर कुछ बिगड़ता भी है तो आपके रिश्ते-नाते, दोस्त-यार मिलकर उसे संभाल लेंगे। यह भरोसा आपको दूसरे लोगों से अलग करते हुए काम में कुशलता लाने का रास्ता खोलता है। प्रोफेशनल जीवन में अक्सर लोग एक पड़ाव पर आकर चुनौतियों का सामना करने से बचते हैं। कारण है कि उनके ऊपर जिम्मेदारियां आ जाती हैं और वह हासिल चीजों को खोने से डरने लगते हैं। लेकिन, जब आपको भरोसा होता है कि आपके पीछे आपकी बिगड़ी बनाने वाले कई लोग हैं तो आप चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरते।
दिखाते हैं नये रास्ते
संस्कृत में एक कहावत है-सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यं अप्रिय। प्रियं च नानृतं ब्रूयात, एष धर्मः सनातनः।। यानी, सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, सत्य लेकिन अप्रिय नहीं बोलना चाहिए। प्रिय लेकिन असत्य नहीं बोलना चाहिए, यही सनातन धर्म है। प्रोफेशनल लाइफ में यह बहुत ही जरूरी हो जाता है। प्राइवेट ही नहीं, सरकारी नौकरी में भी आपकी वाणी संबंध बनाती है और संबंध तरक्की के द्वार खोलते हैं। प्राइवेट सेक्टर में तो कोई भी कंपनी उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देती है जो पहले आजमाए जा चुके हों। ऐसे में आपके व्यक्तिगत संबंध ही इस बात की गारंटी देते हैं कि बंदा काम का है।
नोटः इस आर्टिकल को आप फेसबुक पर भी पढ़ सकते हैं।