तीन चौथाई: तीन चौथाई कथा-कहानी:
अपने पैरों पर
‘नहीं भई! आगे भी हिन्दी से ही एमए करूंगी। दरअसल, तुम साइंस वालों को हिन्दी की शक्ति का एहसास नहीं है। हिन्दी ही एक ऐसा विषय है, जिसमें सौंदर्य, लावण्य, माधुर्य, उत्साह, क्रोध, घृणा, शक्ति, पराक्रम, साहस, शौर्य, भूत, वर्तमान और भविष्य की चिंता होती है। इस विषय में दो-दो चार तो हम सीखते ही हैं, साथ ही यह भी सीखते हैं कि दो और दो पांच तथा दो और दो तीन कब, क्यों और कैसे हो जाता है? हाहाहाहाहाहाहाहा....’ रमा ने हंसते हुए हेमंत की चुटकी ली...
अपने पैरों पर
‘नहीं भई! आगे भी हिन्दी से ही एमए करूंगी। दरअसल, तुम साइंस वालों को हिन्दी की शक्ति का एहसास नहीं है। हिन्दी ही एक ऐसा विषय है, जिसमें सौंदर्य, लावण्य, माधुर्य, उत्साह, क्रोध, घृणा, शक्ति, पराक्रम, साहस, शौर्य, भूत, वर्तमान और भविष्य की चिंता होती है। इस विषय में दो-दो चार तो हम सीखते ही हैं, साथ ही यह भी सीखते हैं कि दो और दो पांच तथा दो और दो तीन कब, क्यों और कैसे हो जाता है? हाहाहाहाहाहाहाहा....’ रमा ने हंसते हुए हेमंत की चुटकी ली...