तीन चौथाई: देशकाल: शास्त्रीजी की खुदकुशी और व्यवस्था की रक्तपिपासा
अजब झारखंड की गजब कहानी- 5
....आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस व्यक्ति ने कोल्हान ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के नेताओं को भेदभाव भुलाकर पृथक झारखंड के लिए एक मंच पर ला खड़ा किया उनकी मृत्यु स्वभाविक नहीं थी। उन्होंने खुदकुशी की। इसके पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें लिखा कि वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते। उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को शोध के लिए दान में सौंप दिया जाए।
अजब झारखंड की गजब कहानी- 5
....आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस व्यक्ति ने कोल्हान ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के नेताओं को भेदभाव भुलाकर पृथक झारखंड के लिए एक मंच पर ला खड़ा किया उनकी मृत्यु स्वभाविक नहीं थी। उन्होंने खुदकुशी की। इसके पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें लिखा कि वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते। उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को शोध के लिए दान में सौंप दिया जाए।
दरअसल,
प्रदेश की लकवाग्रस्त व्यवस्था का उनके जीवन पर बोझ इतना भारी हो गया था
कि वह उस बोझ के साथ अपना भार किसी अन्य पर डालना नहीं चाहते थे।