गुरुवार, 23 जून 2016
तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल
तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: स्कूली बच्चों के बैग में हथियारों की आमद दरक रहे सामाजिक तानेबाने का नमूना है. शहर के नामी स्कूलों के बच्चों की ऐसी हरकतें गंभीर चिंता का विषय हैं. नक्सलवाद या उग्रवाद से अपना शहर अभी तक अप्रभावित है. इसलिए, हम बच्चों में पनप रही हिंसा की प्रवृत्ति को आयातित या आक्षेपित नहीं कह सकते. ऐसे में हमें खुद के परिवार के भीतर और आसपास से इन हरकतों के लिए जिम्मेदार तत्वों को ढूंढ़कर बाहर लाना होगा तथा उनका समाधान तलाशना होगा. स्कूलों को हम शिक्षा का मंदिर मानते हैं. जाहिर है कि हम यहां स्वस्थ शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा की उम्मीद भी करते हैं. ज्यादातर मौकों पर होता भी ऐसा ही है. लेकिन, स्कूलों में चलने वाली स्वस्थ शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा के समानांतर कुछ बच्चों के बीच एक दूसरी स्पर्धा शुरू हो जाती है. इस दूसरी वाली प्रतिस्पर्धा में शिक्षा के अलावा भी बहुत कुछ शामिल होता है. जैसे- फैशन, पावर, पैसा, गर्लफ्रेंड, ब्वायफ्रेंड और सबसे खतरनाक टशनबाजी.
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