मंगलवार, 26 नवंबर 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई कथा-कहानी

तीन चौथाई: तीन चौथाई कथा-कहानी: चवन्नी की बादशाहत

 उम्र करीब 11 साल। नन्ही-नन्ही आंखें। पतला चेहरा और दुबला शरीर। रंग साफ। बाल बिखरे हुए। शरीर पर नीलदार सफेद गंजी (बनिया...

बुधवार, 25 सितंबर 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: अच्छे लोगों की गन्दी बातें  ये बात गंदी है, लेकिन करते सब अच्छे लोग ही हैं। मौत पर मातम तो आपने सुना ही होगा, अब मौत पर सियासत क...

बुधवार, 4 सितंबर 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई ज्ञान-विज्ञान

तीन चौथाई: तीन चौथाई ज्ञान-विज्ञान: रु पये को खा गया विदेशी निवेश ।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।। (अर्थशास्त्री) देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए सरकार को खपत कम औ...

बुधवार, 3 जुलाई 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल:

देश का दुर्भाग्य देखिए...

 1. उत्तराखंड और खासकर उत्तरकाशी के बाशिंदे आज दाने-दाने को मोहताज हैं। घर-बार सब खोकर कैंपों में शरण ...

रविवार, 16 जून 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य: 17 वर्षों की बेमेल शादी फलसफा धमाकेदार तलाक

गुड़िया को दूल्हा तो पहले दिन से ही पसंद नहीं था, लेकिन उसकी ताकत को वह नजरअंदाज नह...

रविवार, 2 जून 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार:


जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है,
समझो, उसने ही हमें यहाँ मारा है।

जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है,
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है,
उस कुटिल राजतन्त्री कदर्य को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं वधिक है।

चोरों के हैं जो हितू, ठगों के बल हैं,
जिनके प्रताप से पलते पाप सकल हैं,
जो छल-प्रपंच, सब को प्रश्रय देते हैं,
या चाटुकार जन से सेवा लेते हैं;

यह पाप उन्हीं का हमको मार गया है,
भारत अपने घर में ही हार गया है....
 

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार

डॉ. नामवर सिंह ने शुरुआती दिनों में कई तरह का सृजनात्मक लेखन किया। बाद में वे आलोचना और वक्तृत्व के नए प्रतिमान बनाने में इतने व्यस्त हो गए कि यह पक्ष छूट गया। उनकी प्रारंभिक रचनाएं पिछले दिनों प्रकाशित हुई हैं। प्रस्तुत हैं उनमें से कहानी की कहानी और कुछ कविताएं 

शनिवार, 11 मई 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार:

मेरी मां 



यकीनन खून से कहीं ज्यादा मजाबूत रिश्ते हमारे हैं

मेरी मां

हर मुश्किल हालात में तुमहीं तुम याद आती हो।

जमाने भर की नजरों से बचाया तुमने खुद के दम पर
सही क्या है और गलत क्या, अब तक बताती हो।

सिखाया तूने ही हुनर जीने का जमाने में अनहद....

रविवार, 5 मई 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार: ‘सरस्वती’ के संपादक का पुण्य स्मरण संपादक प्रवर महावीर प्रसाद द्विवेदी की 150वीं जयंती के समारोह 9 मई से शुरू हो रहे हैं। इस महा...

शनिवार, 20 अप्रैल 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई ज्ञान-विज्ञान

तीन चौथाई: तीन चौथाई ज्ञान-विज्ञान: बहुत दिलचस्प है भारतीय रेल के विकास की कहानी 

 16 अप्रैल को भारतीय रेल ने अपने 160 साल पूरे कर लिये हैं. 16 अप्रैल 1853 को पहली यात्री ट्रेन भारतीय उपमहाद्वीप में चली. इस ट्रेन ने अपने पहले सफर में 21 मील की दूरी तय की. इस सफर की शुरु आत बांबे से ठाणे के लिए हुई. इस ट्रेन को बोरीबंदर से 3:30 बजे दोपहर बाद ठाणे के लिए रवाना किया गया था. यह भारत के इतिहास की बेहद अहम व महत्वपूर्ण घटना थी...


रविवार, 31 मार्च 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार: राहुल सांकृत्यायन की तिब्बती पांडुलिपियों के अनुवाद का रास्ता साफ महापंडित राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाई गई छह हजार से अध...

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई साहित्य संसार:
एक उपन्यासकार, जो अफ्रीकी अस्मिता की जुबान बन गया

इसी 21 मार्च को अफ्रीका के महानतम उपन्यासकार चिनुआ अचीबे का निधन हो गया। चिनुआ अचीबे को आधुनिक अफ्रीकी साहित्य का पिता कहा जाता है। अफ्रीका की उपनिवेशवाद से मुठभेड़ के अनुभवों को प्रामाणिकता और संवेदनशीलता के साथ दर्ज करने की वजह से उन्हें आधुनिक विश्व साहित्य में सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में शुमार किया जाता है...


मंगलवार, 26 मार्च 2013

तीन चौथाई: तीन चौथाई अपनों की दुनिया

तीन चौथाई: तीन चौथाई अपनों की दुनिया: कैसे कहें कि होली है... ए. दुष्यंत युवा कवि व पत्रकार। घी-तेल सब कुछ है महंगा, खाली अपनी झोली है, ऊपर से ये मार्च महीना, कैसे कहें ...

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार:

होली मुबारक!

जी करता है इस होली एक ऐसा रंग बनाऊं,
मन का दाग रहे न बाकी, चाहे जिसे लगाऊं।

मन से हटे तिमिर का डेरा, उदित हो नव सवेरा।
पापी ही पातक को मारे, दीन-दुखियन का भाग्य संवारे।
मोह-माया के तोड़ के बंधन, दूर करे वह सबका क्रंदन।
लोभ-लालच का हटे बसेरा, ऐसी होली गाऊं।  

जी करता है इस होली में एक ऐसा रंग बनाऊं,
मन का दाग रहे न बाकी, चाहे जिसे लगाऊं।

दानव को भी देव बनाये, रूठे को गले लगाये।
जीवन पथ पर बने वह साथी, जैसे दिया और बाती।
दावानल में हिमशिखर बन, शीतल करे सबका मन।
आलोकित हो जीवन-पथ, ऐसा छंद सुनाऊं।

जी करता है इस होली में एक ऐसा रंग बनाऊं,
मन का दाग रहे न बाकी, चाहे जिसे लगाऊं....

रविवार, 27 जनवरी 2013

तीन चौथाई: देशकाल

तीन चौथाई: देशकाल: डरो ‘भगवान’, अपने अस्तित्व के लिए डरो! (भाग-4)

दरअसल, व्यवस्था बनती तो है समाज में स्वस्थ माहौल पैदा करने तथा विकास को गति देने के लिए, लेकिन बंद कमरों में बनने वाली नीतियां इतनी अव्यावहारिक हो जाती हैं कि यर्थाथ के धरातल पर उनमें कई छेद पैदा हो जाते हैं। इन्हीं छेदों के माध्यम से नीतियों और योजनाओं का रिसना शुरू हो जाता है और शत-प्रतिशत लाभ के हकदार आम जनता के पास लाभ की चूरन-चटनी से ज्यादा कुछ भी नहीं पहुंच पाता।

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

तीन चौथाई: काव्य संसार

तीन चौथाई: काव्य संसार:
कैसे कहें नव वर्ष मंगलमय हो!
बिटिया को सुबह विदा करते जहां पिता का रूह कांपे शाम तक अपशुकुन की आशंका रहे जहां चांपे मर-मर कर ...