रविवार, 14 जून 2020

‘छिछोरे’ ऐसे तो नहीं होते सुशांत

हॉटस्टार पर मुफतिया मूवी की श्रेणी में बार-बार ‘छिछोरे’ हाईलाइट हो रही थी। चिकट फिलिमची हूं। घटिया से घटिया फिल्में देख लेता हूं और उनसे अपने मतबल की चीजें निकाल लेता हूं। लेकिन, ‘छिछोरे’ देखने का लंबे समय तक मन नहीं बना पाया। एक तो शायद पब्लिसिटी कम होने के कारण इसका नाम गौर से सुन नहीं पाया था और दूसरा यह मान बैठा था कि जिस फिल्म का नाम इतना घटिया होगा वह फिल्म कैसी होगी। खैर, हर रोज इस फिल्म का पोस्टर देख-देखकर एक दिन जिज्ञासावश उस पर क्लिक कर दिया। मैं यह जानना चाह रहा था कि जिस फिल्म में सुशांत और श्रद्धा हों, उसे युवा पीढ़ी ने खारिज किन कारणों से कर दिया।
श्रद्धांजलि
      फिल्म शुरू हुई, लेकिन शुरुआत भी उतनी दिलचस्प नहीं थी। फिर भी अब पीछे हटने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता था। जब फिल्म देखनी शुरू की थी तो रात के तीन बज रहे थे। ऊंघ रहा था, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती गई नींद आंखों से दूर होती गई। हालांकि, फिल्म आज के दर्शकवर्ग के हिसाब से थोड़ी स्लो थी। तथ्य और कथ्य का प्रस्तुतीकरण भी उतना प्रभावी नहीं था, लेकिन उसका विषय और सुशांत के अभिनय ने मुझे भटकने नहीं दिया। फिर तो अपने कॉलेज के दिनों से लेकर अपने बेटे के स्कूली दिनों को एक साथ जी लिया।
      सूरज की लाली दिखने लगी थी और फिल्म अवसान की ओर बढ़ने लगा था। जब फिल्म खत्म हुई तब मैंने तय किया था कि परीक्षा खत्म होने के बाद अपने बेटे को जरूर दिखाऊंगा। भले ही फिल्म की कई बातें हमारी भारतीय मर्यादा के हिसाब से नहीं थीं, लेकिन इसमें वही सारी चीजें थीं जो आज समाज में होती हैं। इसलिए मेरा मानना था कि जिस किसी का भी बच्चा 12वीं की परीक्षा दे रहा हो या दे चुका हो उसे ‘छिछोरे’ जरूर दिखाना चाहिए।
      भाई सुशांत, यूं तो जाने वाले से शिकायत की कोई परंपरा हमारे यहां नहीं, लेकिन तुम्हारी ‘छिछोरे’ ने मुझे यह अधिकार दे दिया है। प्रिय भाई, आज तुमने जो किया उसके बाद तुम क्या बता सकते हो कि मेरे जैसा रूढि़यों से लड़ने वाला पिता भी अपने बेटे का साथ तुम्हारी ‘छिछोरे’ देखना चाहेगा। कई पो चे में तुम्हारी भूमिका इतनी सहज थी, जैसे सारी घटनाएं आंखों के सामने हो रही हों। धौनी को तुमने पर्दे पर हूबहू उतार दिया। इतने लोग तुम्हें चाहते थे। जिस समाज से तुम आते थे उसके लिए तुम बेहद सफल इंसान थे। फिर तुमने ऐसा क्यों किया। बहुत गहरा जख्म दे गए भाई। तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। खैर, मुझे यकीन है कि तुम अपने अभियन से देवलोक को भी जीत लोगे।
  • कुणाल देव