बुधवार, 7 दिसंबर 2016

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: नोटबंदी : ‘हम अमीर हुए या नहीं, कुछ लोग गरीब जरूर हो गये...’ -कुणाल देव- नोटबंदी के बाद हालात अब तक सामान्य नहीं हुए हैं... तीन चौथाई

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: उत्तर प्रदेश में किंग नहीं, किंगमेकर बनने के लिए लड़ेगी कांग्रेस!   अ गले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में पीके यान... तीन चौथाई

गुरुवार, 23 जून 2016

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: स्कूली बच्चों के बैग में हथियारों की आमद दरक रहे सामाजिक तानेबाने का नमूना है. शहर के नामी स्कूलों के बच्चों की ऐसी हरकतें गंभीर चिंता का विषय हैं. नक्सलवाद या उग्रवाद से अपना शहर अभी तक अप्रभावित है. इसलिए, हम बच्चों में पनप रही हिंसा की प्रवृत्ति को आयातित या आक्षेपित नहीं कह सकते. ऐसे में हमें खुद के परिवार के भीतर और आसपास से इन हरकतों के लिए जिम्मेदार तत्वों को ढूंढ़कर बाहर लाना होगा तथा उनका समाधान तलाशना होगा. स्कूलों को हम शिक्षा का मंदिर मानते हैं. जाहिर है कि हम यहां स्वस्थ शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा की उम्मीद भी करते हैं. ज्यादातर मौकों पर होता भी ऐसा ही है. लेकिन, स्कूलों में चलने वाली स्वस्थ शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा के समानांतर कुछ बच्चों के बीच एक दूसरी स्पर्धा शुरू हो जाती है. इस दूसरी वाली प्रतिस्पर्धा में शिक्षा के अलावा भी बहुत कुछ शामिल होता है. जैसे- फैशन, पावर, पैसा, गर्लफ्रेंड, ब्वायफ्रेंड और सबसे खतरनाक टशनबाजी.

शुक्रवार, 22 जनवरी 2016

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार: साथी! तुम जिंदा रहोगे... साथी! तुम जिंदा रहोगे,  तब तक..., जब तक  रोहित वेमुला की याद में  कवि मन /  कुणाल देव तुम्हारी चिता... तीन चौथाई

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार: यहां तैयार होते हैं लड़ाका मुर्गे
जमशेदपुर सिटी समेत आसपास के इलाकों में टुसू पर्व पर मेले का आयोजन व मुर्गे की लड़ाई परंपरा का हिस्सा है. टुसू मेले का इंतजार लोगों को पूरे वर्ष रहता है. इसकी तैयारियां भी काफी लंबे समय से चल रही होती हैं. सच कहा जाये, तो टुसू मेले में आकर्षण का केंद्र मुर्गा लड़ाई ही होती है. शहर ही नहीं, गांव-गांव में भी मुर्गा पालक उन्हें महीनों पहले से तैयार करने लगते हैं. यहां तक लोग मुर्गे की हार-जीत से साल भर के लिए अपनी किस्मत का निर्धारण भी कर लेते हैं. बोड़ाम प्रखंड में एक ऐसा ही गांव है, जहां मुर्गों के शौकीन लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. यहां शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां लड़ाके मुर्गे पाले न जाते हों या तैयार न किये जाते हों... तीन चौथाई