सोमवार, 5 जनवरी 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार: आकुल उड़ान में विघ्न न डालो...
घर की मुंडेर पर बैठा कबूतर जब ‘गुटर गूं’ करता है तो कानों को कितना सुकून मिलता है. पिंजरे में बंद तोता ‘ए रूपु, कटोरे-कटोरे’ जरूर कहता है, लेकिन दिन भर में एक बार पिंजरे को तोड़कर बाहर भाग जाने की कोशिश भी निश्चित ही करता है. घर की वेंटीलेटर में घोसला बनाने वाली गौरैया भी दिन भर उनमुक्त आकाश में ही विचरण करती है. खेतों में बसने वाले तीतर-बटेर फसल कटने के पूर्व फुर्र हो जाते हैं. मैना को जब खूबसूरत पिंजरे में बंद किया जाता है, तो खाना-पीना छोड़ देती है. कुल मिलाकर, कोई भी पक्षी, किसी भी सूरत में कैद पसंद नहीं करता. इसके बावजूद वे आपके प्यार को भली-भांति समझते हैं. आप भले ही उन्हें पिंजरे में कैद न करें, लेकिन सचमुच में प्यार करते हैं तो घूम-फिरकर कम-से-कम एक बार वे आपकी बाहों में जरूर आते हैं. अपने शहर में भी परिंदों से प्यार करने वाले लोगों की संख्या काफी है. ये लोग बिना किसी लोभ-लालच के रोजाना परिंदों को दाना देते हैं. उनके लिए पानी की व्यवस्था करते हैं. ऐसे ही लोगों पर केंद्रित है यह स्टोरी...