मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार: कला का ग्राम आदमी की अंतश्चेतना जब जागृत होती है, तो उसकी ऊर्जा जीवन को कला के रूप में उभारती है. कला उस क्षितिज की भांति है, जिसका क... तीन चौथाई

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल

तीन चौथाई: तीन चौथाई देशकाल: बाप-बेटे की दमित इच्छा... हॉस्टल के कमरों में जूलिया रॉबर्ट्स, मार्टिना हिंगिस, कैटरीना कैफ, करीना कपूर जैसी ग्लैमर के कटाउट और कोलाज के बीच किसी अन्य की तस्वीर को जगह मिलना आसान नहीं था. लेकिन, डॉक्टर कलाम ने बिना किसी आग्रह और प्रेरणा के इन ग्लैमर से इतर हॉस्टलर्स के कमरों में अपनी जगह बना ली...तीन चौथाई

शनिवार, 9 मई 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई काव्य संसार: एक अनाथ की मां से बातचीत
 हे मां , 
 तुम कुमाता 
 नहीं हो सकती लेकिन , 
 मैं अनाथ क्यों हूं
 कौन बताएगा ?...
मां यशोदा, धाया पन्ना
या मां मरियम
की श्रेणी में
नहीं आता
कुंती का जिक्र,
शायद,
कर्ण की उपेक्षा का
जमाना
मांग रहा है
हिसाब....     कवि मन /  कुणाल द... तीन चौथाई

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य: मुबारक हों ‘अच्छे दिन’ की सौगातें अखबार हाथ में आते ही सवेरे-सवेरे बेबाक सिंह का मूड खराब हो गया. ऊपर से पत्नी ने हाथ में झोला थमाते हुए राशन लाने का फरमान जारी कर दिया. किचकिच तो तभी शुरू हो जाती, लेकिन दिन अभी बाकी था और बेबाक सिंह उसे खराब नहीं करना चाहते थे. अखबार मेज पर रखते हुए झोला उठाकर पैदल ही जाने लगे. पत्नी ने तुरंत टोका, ‘‘सामान क्या सर पर लायेंगे?’’ ‘‘नहीं, ट्रक पर लायेंगे’’, बेबाक सिंह ने झुंझलाते हुए कहा और बुलेट ट्रेन की तरह सरपट निकल पड़े. दुकान पर ‘अच्छे दिन’ के पोस्टर लगे हुए थे. भीड़ अच्छी-खासी थी, लेकिन मुस्कान सिर्फ दो ही जगह दिखायी दे रही थी- या तो पोस्टर में या फिर दुकानदार के चेहरे पर. ... तीन चौथाई

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य

तीन चौथाई: तीन चौथाई व्यंग्य: डॉक्टर ने नेताजी को आला लगाकर चेक किया और कहा-‘‘सरजी! कोई बड़ा रोग नहीं है, लेकिन जल्दी ठीक भी नहीं होगा.’’ ‘‘यह कैसा रोग है डॉक्टर साहेब, जो बड़ा भी नहीं है और जल्दी ठीक भी नहीं होगा?’’ नेताजी ने बहुत ही चिंता के साथ पूछा. ‘‘अरे, डरिये मत भाई. इसका नाम है-कुर्सियापा.’’ ... तीन चौथाई

सोमवार, 5 जनवरी 2015

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार

तीन चौथाई: तीन चौथाई सृजन संसार: आकुल उड़ान में विघ्न न डालो...
घर की मुंडेर पर बैठा कबूतर जब ‘गुटर गूं’ करता है तो कानों को कितना सुकून मिलता है. पिंजरे में बंद तोता ‘ए रूपु, कटोरे-कटोरे’ जरूर कहता है, लेकिन दिन भर में एक बार पिंजरे को तोड़कर बाहर भाग जाने की कोशिश भी निश्चित ही करता है. घर की वेंटीलेटर में घोसला बनाने वाली गौरैया भी दिन भर उनमुक्त आकाश में ही विचरण करती है. खेतों में बसने वाले तीतर-बटेर फसल कटने के पूर्व फुर्र हो जाते हैं. मैना को जब खूबसूरत पिंजरे में बंद किया जाता है, तो खाना-पीना छोड़ देती है. कुल मिलाकर, कोई भी पक्षी, किसी भी सूरत में कैद पसंद नहीं करता. इसके बावजूद वे आपके प्यार को भली-भांति समझते हैं. आप भले ही उन्हें पिंजरे में कैद न करें, लेकिन सचमुच में प्यार करते हैं तो घूम-फिरकर कम-से-कम एक बार वे आपकी बाहों में जरूर आते हैं. अपने शहर में भी परिंदों से प्यार करने वाले लोगों की संख्या काफी है. ये लोग बिना किसी लोभ-लालच के रोजाना परिंदों को दाना देते हैं. उनके लिए पानी की व्यवस्था करते हैं. ऐसे ही लोगों पर केंद्रित है यह स्टोरी...